एक और जहां एक युद्ध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा वहीं दूसरी और एक और युद्ध ने लोगो की चिंताएं बढ़ा दी हैं। चीन ने ताइवान की सीमाओं के चारो तरफ युद्धाभ्यास की तैयारी करके China Taiwan War के संकेत दे दिए हैं।
नमस्कार दोस्तों, उम्मीद करता हुं कि आप ठीक होगे। पिछले कुछ सालों से दुनिया काफी मुसीबतों से जूझती आई हैं। कभी बाड़, कोविड या रसिया और यूक्रेन युद्ध, पूरी दुनिया को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा हैं। अभी जिंदगी धीरे धीरे पटरी पर आई ही थी कि चाइना से एक बुरी खबर आ रही हैं। कि चाइना ने युद्धाभ्यास के संकेत दे दिए हैं।
अगर यह युद्ध हुआ तो भारत की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होगी। क्युकी इससे चाइना की अर्थव्यवस्था बिगेड़गी और हमारा ज्यादातर माल चाइना से आता है। जिस वजह से भारत भी प्रभावित होगा।
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आशंका :
दरअसल 2 अगस्त को अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने ताइवान में यात्रा की थी। उसके तुरंत बाद 4 अगस्त को चाइना ने अपने लड़ाकू विमानों को ताइवान की सीमा पर तैनात कर दिया। और रविवार तक चलने वाले इस युद्धाभ्यास की सूचना दी।
दूसरी तरफ ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग वेन ने कहा हैं कि वह इस विवाद को भड़काएगे नहीं परंतु अगर युद्ध शुरू हुआ तो वो अपने राष्ट्र की संप्रुभता को बचाने के लिए रक्षा करने को तैयार हैं। त्साई ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से साथ मिलकर एकतरफा और बेमतलब की सैन्य कार्रवाई को रोकने का आग्रह किया। China Taiwan War
कई जगह यह युद्धाभ्यास ताइवान की सीमा से केवल 20 km दूर हैं। ग्लोबल टाइम्स की माने तो इसी कारण पहली बार चाइना की मिसाइलें ताइवान के ऊपर से गुजरेगी। इसके साथ ही पीएलए की सेनाएं ताइवान की समुंद्री सीमा में 22 km तक अंदर आयेगी।
ये सब संकेत युद्ध की तरफ ही इशारा कर रहे हैं। परंतु युद्ध होगा या नहीं ये कहना काफी मुश्किल हैं। आपकी इस विषय में क्या राय हैं। अपना वोट देकर जरूर बताएं।

कारण :
चीन इन वन चाइना की पॉलिसी के ऊपर काम करता हैं। जिस वजह से वह ताइवान को भी अपना हिस्सा मानता हैं। और ताइवान खुद को उससे अलग एक संपूर्भ देश मानता हैं।
ताइवान पहले चीन का ही हिस्सा था। परंतु दोनो देशों के बीच युद्ध चलता रहता था। 1644 के दौरान जब चीन में चिंग वंश का शासन था तो ताइवान उसी के हिस्से में था। उसके बाद 1895 को ताइवान को चाइना ने जापान को सौप दिया।
इसी फैसले के बाद दोनो देशों के बीच युद्ध समाप्त हुआ। सन् 1949 में चीन में गृहयुद्ध हुआ तो माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने चियांग काई शेक के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कॉमिंगतांग पार्टी को हरा दिया। इस हार के बाद कॉमिंगतांग पार्टी ताइवान पहुंच गई और वहां जाकर उन्होंने अपनी सरकार बना ली। China Taiwan War
परंतु दूसरे विश्वयुद्ध में जापान की हार हुई तो उसने कॉमिंगतांग को ताइवान का नियंत्रण सौंप दिया। इसके बाद से ही वहा चुनाव के द्वारा सरकार चुनी जाती हैं। जिस कारण ताइवान खुद को लोकतांत्रिक देश बताता हैं।
इसी आपसी पार्टियों की रंजिश की वजह से चाइना ताइवान को अपना हिस्सा बनाना चाहता हैं। जिसकी वजह से युद्ध का खतरा मंडरा रहा हैं।
परिणाम :
हालांकि युद्ध का होना अभी पूर्णतः निश्चित नही हैं। परंतु अगर यह युद्ध हुआ तो पूरी दुनिया पर इसका असर देखने को मिलेगा। जिस वजह से भारत भी इसकी चपेट में आ सकता हैं।
चाइना दुनिया के ताकतवर देशों में शामिल हैं। जिस कारण उसको हराना ताइवान के लिए काफी मुश्किल हैं। और यह बात ताइवान भी अच्छी तरह जानता हैं। परंतु युद्ध किसी भी बड़े देश की अर्थव्यवस्था को हिला सकता हैं। China Taiwan War
चाइना अगर युद्ध शुरू करता है तो उसको भी इसका परिणाम झेलना पड़ेगा।
ताइवान भले ही सुरक्षा के मामले में पीछे हो पर तकनीक के मामले में नंबर वन हैं। इसलिए पूरी दुनिया की आधी से ज्यादा चिप ताइवान में ही बनती हैं। चिप बनाने के लिए ताइवान पूरी दुनिया में मशहूर हैं। इन चिप का उपयोग लैपटॉप, मोबाइल, कार और अन्य इलेक्ट्रॉनिक चीज बनाने के लिए किया जाता हैं।
अगर युद्ध हुआ तो इन चीजों पर काफी रोक लग जायेगी। जिसकी वजह से जिंदगी बिगड़ सकती हैं। बाकि अन्य कई छोटे–बड़े परिणाम निकल सकते हैं। जिनका समय आने पर ही परिणाम सामने आएगा।
निष्कर्ष:
चाइना–ताइवान युद्ध का परिणाम कुछ भी हो परंतु यह युद्ध जरूर विनाशकारी होगा। इसलिए यह युद्ध ना हो तो ही बेहतर हैं। अगर आपका कोई और प्रश्न हैं तो जरूर कमेंट करिएगा।